मंगलवार, 6 नवंबर 2018

नहीं तन्हा ये अम्बर है.......


नज़र जिस सिम्त जाती है, 
चिरागों के समंदर हैं।
जिसे तू ढूंढता हर पल, 
वो तेरे मन के अंदर है।।

अंधेरी रात है तन्हा, 
औ कालापन भी तन्हा है।
उजाला उर में भर देखो, 
नहीं तन्हा ये अम्बर है।।
            -गिरि।

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