सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

दर्द

दर्द जब खुद ही संवर जाता है
जाने कितनों का ग़म चुराता है

मेरे ज़ख्मों का चीरकर सीना
कर्ज़ औरों के वो चुकाता है

तेरी सोहबत का उस पे साया है
और, हरदम उसे सताता है

रास्ते भर वो बात करता रहा
और मंजिल पर मुंह चुराता है


जी लिया, और फिर जिया भी नहीं
रिश्ता कुछ इस तरह निभाता है 

क्या करेगा गिरि जहां का ग़म
तबीयत से तू मुस्कुराता है

- आकर्षण कुमार गिरि

22 टिप्‍पणियां:

  1. दर्द का संवरना फिर औरों के ग़म चुराना...
    बहुत खूब कहा है... सुन्दर रचना...

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  2. "जी लिया और फिर जिया भी नहीं, रिश्ता वो इस तरह निभाता है " ... बहुत खूब

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  3. बहुत खूब ...
    शुभकामनायें आपको !

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  4. क्या करेगा गिरी जहां के गम देखकर
    ये दुनिया गमों का साया है ......

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  5. दर्द जब खुद ही संवर जाता हैजाने कितनों का ग़म चुराता है
    मेरे ज़ख्मों का चीरकर सीनाकर्ज़ औरों के वो चुकाता है

    भावों क सहज प्रवाह इस कविता की संवेदना को ग्राह्य बनाता है .....शुक्रिया आपका

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  6. बहुत ही मनभावन प्रस्तुति । कामना है सर्वदा सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट पर आपकी आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  7. बहुत सुंदर । नया वर्ष आपके लेखनी की धार और भी पैनी करे ।

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  8. एक अच्छी रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ |

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  10. भाई आकर्षण गिरि जी
    नमस्कार !

    दर्द जब ख़ुद ही संवर जाता है
    जाने कितनों का ग़म चुराता है

    वाऽह ! क्या बात है ! अच्छा मतला है

    खूबसूरत रचना !

    …आपकी लेखनी से सुंदर रचनाओं का सृजन ऐसे ही होता रहे, यही कामना है …
    शुभकामनाओं सहित…

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  11. "जी लिया और जिया भी नहीं
    रिश्ता कुछ इस तरह निभाता है"
    उम्दा शेरों से सजी लाजवाब ग़ज़ल - बहुत सुंदर गिरी जी - हार्दिक बधाई

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  12. .
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति .बधाई
    प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध [कानूनी ज्ञान ] और [कौशल ].शोध -माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता .पर देखें और अपने विचार प्रकट करें

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  13. Dear Akarshan , I read somewhere that nothing lasts .... not even pain ......... प्रभावशाली है आपकी यह रचना ..... अगले का इंतजार है

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  14. Dear Akarshan , I read somewhere that nothing lasts .... not even pain ......... प्रभावशाली है आपकी यह रचना ..... अगले का इंतजार है

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