इस कमरतोड महंगाई में
जबसे रोटी का जुगाड दूभर हुआ है
कवियों ने चांद में रोटी देखना शुरू कर दिया
और अब.....
धुंधला सा चांद
अपना पता बताने से डरने लगा है.....
अदावत है मोहब्बत की कमी से। शराफत मिट गई जग की बही से। कथा कैसे कहें अपनी किसी से। मोहब्बत थी हमें एक अजनबी से। तुम्हें जाना था पीछे की गली ...
बहुत ही रोमांटिक रचना है| अपने भावों को सही तरह से व्यक्त किया है| शुभकामनायें|
जवाब देंहटाएं