बेसदा हम हैं तो क्या
हममें नहीं है जिंदगी
जान जाएँ हम जिसे
ऐसी नहीं है जिंदगी
हम चले - चलते रहे
उस दूर मंजिल कि तरफ
पास आकर भी सदा
एक अजनबी है जिंदगी
शब्द में ढाला किये
खूंटों में इसे बाँधा किये
चंद खूंटों में कभी
बंधती नहीं है जिंदगी
अदावत है मोहब्बत की कमी से। शराफत मिट गई जग की बही से। कथा कैसे कहें अपनी किसी से। मोहब्बत थी हमें एक अजनबी से। तुम्हें जाना था पीछे की गली ...