मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

क्योंकि तुम मेरे अपने हो.....

प्रश्न - गैरों को ग़ज़ल सुनाते हो
मुझको केवल मुक्तक क्यों ?

औरों से हंस हंस मिलते हो
मेरी खातिर पत्थर क्यों ?

मुंहदेखी बातें करते हो
तुम जिस जिस से मिलते हो

मेरी खातिर मेरे साजन
तेरी जिह्वा नश्तर क्यों ?

उत्तर - क्योंकि तुम मेरे अपने हो.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मेरे जिगर को मेरी मुफलिसी ने काट दिया

दिलों का दर्द मेरी आशिकी ने काट दिया।  मेरी मियाद मेरी मैकशी ने काट दिया।  बयान करने को अब कोई बहाना न बना  तेरी ज़बान मेरी ख़ामुशी ने काट दि...