शनिवार, 30 अप्रैल 2022

जरा पढ़ के तो देखो

जिसकी आंखें सजल हैं।

उसके आंसू का एक एक कतरा 

गज़ल है।

जरा पढ़ के तो देखो।







रविवार, 29 अगस्त 2021

मंगलवार, 3 अगस्त 2021

मोहब्बत के ये मसले हैं, मोहब्बत से ही हल होंगे....

शराफत से नहीं होंगे, शरारत से नहीं होंगे। 

ज़मानत से नहीं होंगे, अदालत से नहीं होंगे।

अदावत से नहीं होंगे, बगावत से नहीं होंगे।

मोहब्बत के ये मसले हैं, मोहब्बत से ही हल होंगे।।

                                 - आकर्षण कुमार गिरि ।



मंगलवार, 30 मार्च 2021

तेरा आना सकर्मक है, नहीं आना सकर्मक है.....

तेरा आना मेरे जीवन में खुशियों का प्रवर्तक है। 
जो तू है तो जमीं और आसमां मेरे समर्थक हैं। 
तेरा आना या न आना क्रिया के भेद हैं ऐसे । 
तेरा आना सकर्मक है, नआना भी सकर्मक है। -आकर्षण कुमार गिरि

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

मगर अब टूट जाते हैं.....

यहां हर आस झूठी है, यहां हर ख्वाब झूठे हैं। 
जिसे शिद्दत से जब चाहा, वही हर बार छूटे हैं।ज़माना तब नहीं समझा, ज़माना अब क्या समझेगा?
कि तब हम छूट जाते थे, मगर अब टूट जाते हैं। 
                                             - गिरि

शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

खूब बिकती है मसीहाई यहां।

यूं गले लगना है रुसवाई यहां।
कर निगाहों से पजीराई यहां।।

नेकियों के नाम की परछाइयां।
खूब बिकती है मसीहाई यहां।।

चंद लफ़्ज़ों से रंगे हैं उनके खत।
दिल के खूं की रोशनाई है यहां।।

क्यों सिमटते जा रहे हो खुद में तुम।
अब चलन में बेहयाई है यहां।।

पोंछ माथे से पसीना, बैठ जा।
तेरे बदले से ना बदलेगा जहां।।

तेरी नज़रों से पियेंगे रात भर।
बस यही मेरी कमाई  है यहां।।

आ तू खुद में जी ले अपनी जिंदगी।
बस 'गिरि' इसमें भलाई है यहां।।
              - आकर्षण कुमार गिरि।

बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

जिंदगी और तुम

एक कहानी जिंदगी एक और तुम
फिर वही झूठी कहानी और तुम।

इश्क़,ग़म,सारे फ़साने बोझ हैं
एक जीवन,आरजू एक, और तुम।

ये कोई इल्जाम से कुछ कम था क्या?
रात,तन्हाई,तेरी यादें निगोड़ी और तुम।

फलसफों से बोझ कम होता नहीं।
दिल को संबल चाहिए एक, और तुम।

'गिरि' के अश्आरों सी बेहद खूबसूरत
सारे मक्ते एक तरफ, एक ओर तुम।
                  - आकर्षण कुमार गिरि।

काफ़िर और इबादत

जमाना उसकी आँखों में खुदाया ढूंढ लेता है।
मोहब्बत के लिखावट की स्याही ढूंढ लेता है।।
मैं काफिर हूँ, मुझे उसकी निगाहों से नहीं मतलब।
इबादत को मेरा मन उसकी सूरत ढूंढ लेता है।   
                            - आकर्षण कुमार गिरि

तेरे चेहरे पे मरना है।

तेरी नादानियों का बोझ दिल पर ले के चलना है।
तेरी हर बात पर अब उम्र भर खामोश रहना है।।
तेरी मासूमियत पे जीने वाला इक खुदा होगा।
यही हसरत है इस दिल की, तेरे चेहरे पे मरना है।।

                  - आकर्षण कुमार गिरि

मैं ही तुम हूं...

मेरी प्रेम कहानी में
मैं ही बेवफ़ा और
मैं ही बावफा।
खुद से प्यार किया
खुद को ही धोखा दिया।
कहानी मुझसे ही शुरू
कहानी मुझपे ही ख़तम।
आप इसे मेरा आत्म प्रेम कह सकते हैं।

पर हकीकत ये नही है।
हकीकत बस इतनी है
कि
मैं ही तुम हूं
मैं ही मैं भी हूं।
तो क्या फर्क पड़ता है
यदि मैंने तुमसे प्रेम किया
या यूं कहो कि
खुद से प्रेम किया।

तेरे मेरे एकाकार होने से
इतना ही होना है
कि
ज़ख्म, जुनून, वफा, बेवफाई
सब मेरे ही खाते में आने है।
तुमको बस इतना करना है
कोई कुछ पूछे भी तो
मुस्कुरा के मेरा नाम लेना है
बस!
- आकर्षण कुमार गिरि।

शनिवार, 12 अक्तूबर 2019

ऐसी वैसी बेतरतीब.....

एक तो तेरी याद, ऊपर से ये जिंदगी बेतरतीब।
कर लूंगा मैं खुद से बातें, ऐसी वैसी बेतरतीब।।

शेरों के किस गुलदस्ते को, अपनी गज़ल बना बैठे।
मतला मक्ता, मक्ता मतला, ऐसी वैसी बेतरतीब।।

हाल पूछते थे, या मेरे दिल को और दुखाना था।
अल्हड़ जीवन चलती रहती, ऐसी वैसी बेतरतीब।।

ख्वाबों में आने से पहले, थोड़ा और सिमटना तुम।
नींद न जाने कब आएगी, ऐसी वैसी बेतरतीब।।

मंज़िल मुंह बिचकाती अाई, आंख दिखाकर चली गई।
सीधी राह पे चाल हमारी, ऐसी वैसी बेतरतीब।।

बेखुद गिरि से मत पूछो, वो क्या समझे, वो क्या जाने।
सीधी राह पे चाल हमारी, ऐसी वैसी बेतरतीब।।
                                                 - गिरि ।

गरल जो पी नही पाया अमर वो हो नहीं सकता

  जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता। जो  विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।। सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा। गरल ...