
मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021
मगर अब टूट जाते हैं.....
शनिवार, 19 अक्टूबर 2019
खूब बिकती है मसीहाई यहां।
कर निगाहों से पजीराई यहां।।
खूब बिकती है मसीहाई यहां।।
दिल के खूं की रोशनाई है यहां।।
अब चलन में बेहयाई है यहां।।
तेरे बदले से ना बदलेगा जहां।।
बस यही मेरी कमाई है यहां।।
बस 'गिरि' इसमें भलाई है यहां।।
- आकर्षण कुमार गिरि।
बुधवार, 16 अक्टूबर 2019
जिंदगी और तुम
एक कहानी जिंदगी एक और तुम
फिर वही झूठी कहानी और तुम।
इश्क़,ग़म,सारे फ़साने बोझ हैं
एक जीवन,आरजू एक, और तुम।
ये कोई इल्जाम से कुछ कम था क्या?
रात,तन्हाई,तेरी यादें निगोड़ी और तुम।
फलसफों से बोझ कम होता नहीं।
दिल को संबल चाहिए एक, और तुम।
'गिरि' के अश्आरों सी बेहद खूबसूरत
सारे मक्ते एक तरफ, एक ओर तुम।
- आकर्षण कुमार गिरि।
काफ़िर और इबादत
जमाना उसकी आँखों में खुदाया ढूंढ लेता है।
मोहब्बत के लिखावट की स्याही ढूंढ लेता है।।
मैं काफिर हूँ, मुझे उसकी निगाहों से नहीं मतलब।
इबादत को मेरा मन उसकी सूरत ढूंढ लेता है।
- आकर्षण कुमार गिरि
तेरे चेहरे पे मरना है।
तेरी नादानियों का बोझ दिल पर ले के चलना है।
तेरी हर बात पर अब उम्र भर खामोश रहना है।।
तेरी मासूमियत पे जीने वाला इक खुदा होगा।
यही हसरत है इस दिल की, तेरे चेहरे पे मरना है।।
- आकर्षण कुमार गिरि
गरल जो पी नही पाया अमर वो हो नहीं सकता
जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता। जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।। सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा। गरल ...
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बेरुखी का कोई चिराग जलाये रखना कम से कम एक सितारे को सताये रखना शमा जल जायेगी बुझ जायेगी रुसवा होगी दिल में जज्बात की इक लौ को जलाये रखना...
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दर्द जब खुद ही संवर जाता है जाने कितनों का ग़म चुराता है मेरे ज़ख्मों का चीरकर सीना कर्ज़ औरों के वो चुकाता है तेरी सोहबत का उस पे साया है...
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नया कुछ कर दिखाना चाहता हूं तुम्हें मैं आज़माना चाहता हूं . ग़ज़ल अबतक अधूरी रह गई है तुम्हें मक्ता बनाना चाहता हूं . तेरी हसरत की सुई चुभ...