जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता।
जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।।
सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा।
गरल जो पी नहीं पाया, सरल वो हो नहीं सकता।।
-आकर्षण कुमार गिरि
जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता। जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।। सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा। गरल ...
वाह! सत्य वचन
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