गुरुवार, 31 जुलाई 2025

मेरे जिगर को मेरी मुफलिसी ने काट दिया

दिलों का दर्द मेरी आशिकी ने काट दिया। 
मेरी मियाद मेरी मैकशी ने काट दिया। 

बयान करने को अब कोई बहाना न बना 
तेरी ज़बान मेरी ख़ामुशी ने काट दिया। 

बहर में आईं ग़ज़ल बहर में आईं हयात। 
गम-ए-हयात मेरी शायरी ने काट दिया। 
 
वो मेरे हाल पे चिलमन गिरा के बैठ गया। 
मेरे जिगर को मेरी मुफलिसी ने काट दिया। 

तूर तक राह तेरी बंदगी का जाता है 
'ये रास्ता मिरी आवारगी ने काट दिया।'

इश्क था जहर, जहर दोस्ती तुम्हारी थी। 
इश्क का जहर तेरी दोस्ती ने काट दिया। 

जिंदगी नाप मेरा उम्र भर तो लेती रही
अंत में मौत की कारीगरी ने काट दिया। 

लबों से मेरी हंसी दूर बहुत दूर रही 
हमारे इश्क को संजीदगी ने काट दिया। 

मौत उसको न सिलेगी न बुनेगी उसको 
तमाम उम्र जिसे जिंदगी ने काट दिया। 

कोई मकता, न तखल्लुस न ही उन्वाँ कोई 
ग़ज़ल की बंदिशों को बेखुदी ने काट दिया।

शनिवार, 30 अप्रैल 2022

गरल जो पी नही पाया अमर वो हो नहीं सकता

 


जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता।

जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।।

सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा।

गरल जो पी नहीं पाया, सरल वो हो नहीं सकता।। 

                         -आकर्षण कुमार गिरि 


जरा पढ़ के तो देखो

जिसकी आंखें सजल हैं।

उसके आंसू का एक एक कतरा 

गज़ल है।

जरा पढ़ के तो देखो।







रविवार, 29 अगस्त 2021

मंगलवार, 3 अगस्त 2021

मोहब्बत के ये मसले हैं, मोहब्बत से ही हल होंगे....

शराफत से नहीं होंगे, शरारत से नहीं होंगे। 

ज़मानत से नहीं होंगे, अदालत से नहीं होंगे।

अदावत से नहीं होंगे, बगावत से नहीं होंगे।

मोहब्बत के ये मसले हैं, मोहब्बत से ही हल होंगे।।

                                 - आकर्षण कुमार गिरि ।



मेरे जिगर को मेरी मुफलिसी ने काट दिया

दिलों का दर्द मेरी आशिकी ने काट दिया।  मेरी मियाद मेरी मैकशी ने काट दिया।  बयान करने को अब कोई बहाना न बना  तेरी ज़बान मेरी ख़ामुशी ने काट दि...