shikayat लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
shikayat लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

ग़ज़ल

अब तुमसे मुझे कोई शिकायत नहीं होगी
कहनी है कई बातें, मगर बात नहीं  होगी

मुमकिन है कि तुम आओ, मेरे पास बैठ जाओ
तेरे चेहरे पे टिकें जो, वो निगाहें नहीं होंगी

दो-चार कदम कि दूरी पे, मंजिल ही चली आये   
जाना है जिससे होकर, वो राह न होगी

ख्वाबों में तुम्हें देख, सारी उम्र गुजार दूं
जो ख़त्म न हो कभी भी, वो रात न होगी

मुझे नफरत हुई है खुदकुशी से

मुखातिब हो गया हूं आदमी से। मोहब्बत हो गई है जिंदगी से। दुआओं में असर उसके नहीं है। दुआ देता है वो, पर बेदिली से। मोहब्बत का नया दस्तूर है य...