एक कहानी जिंदगी एक और तुम
फिर वही झूठी कहानी और तुम।
इश्क़,ग़म,सारे फ़साने बोझ हैं
एक जीवन,आरजू एक, और तुम।
ये कोई इल्जाम से कुछ कम था क्या?
रात,तन्हाई,तेरी यादें निगोड़ी और तुम।
फलसफों से बोझ कम होता नहीं।
दिल को संबल चाहिए एक, और तुम।
'गिरि' के अश्आरों सी बेहद खूबसूरत
सारे मक्ते एक तरफ, एक ओर तुम।
- आकर्षण कुमार गिरि।
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