मेरी प्रेम कहानी में
मैं ही बेवफ़ा और
मैं ही बावफा।
खुद से प्यार किया
खुद को ही धोखा दिया।
कहानी मुझसे ही शुरू
कहानी मुझपे ही ख़तम।
आप इसे मेरा आत्म प्रेम कह सकते हैं।
पर हकीकत ये नही है।
हकीकत बस इतनी है
कि
मैं ही तुम हूं
मैं ही मैं भी हूं।
तो क्या फर्क पड़ता है
यदि मैंने तुमसे प्रेम किया
या यूं कहो कि
खुद से प्रेम किया।
तेरे मेरे एकाकार होने से
इतना ही होना है
कि
ज़ख्म, जुनून, वफा, बेवफाई
सब मेरे ही खाते में आने है।
तुमको बस इतना करना है
कोई कुछ पूछे भी तो
मुस्कुरा के मेरा नाम लेना है
बस!
- आकर्षण कुमार गिरि।
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