जमाना उसकी आँखों में खुदाया ढूंढ लेता है।
मोहब्बत के लिखावट की स्याही ढूंढ लेता है।।
मैं काफिर हूँ, मुझे उसकी निगाहों से नहीं मतलब।
इबादत को मेरा मन उसकी सूरत ढूंढ लेता है।
- आकर्षण कुमार गिरि
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गरल जो पी नही पाया अमर वो हो नहीं सकता
जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता। जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।। सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा। गरल ...
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बेरुखी का कोई चिराग जलाये रखना कम से कम एक सितारे को सताये रखना शमा जल जायेगी बुझ जायेगी रुसवा होगी दिल में जज्बात की इक लौ को जलाये रखना...
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दर्द जब खुद ही संवर जाता है जाने कितनों का ग़म चुराता है मेरे ज़ख्मों का चीरकर सीना कर्ज़ औरों के वो चुकाता है तेरी सोहबत का उस पे साया है...
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जीवन जटिल है, मौत सरल। तुम गरल न हुये, हम सरल न हुये । 😊 -गिरि
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