तुम हमारे हमसफ़र हो क्या कहें!
फिर वही तन्हा सफ़र हम क्या कहें!
यूं तो सीधा ज़िंदगी का है सफ़र
और अपनी चाल टेढी क्या कहें!
तुम बदल जाओगे - ये मालूम था
हम भला कैसे बदलते? क्या कहें!
तेरे बारे में ज़माना पूछता है
रोज एक नई कहानी क्या कहें!
तुम हमें बदनाम करते ही रहे
आदतन अपनी खामोशी क्या कहें!
लोग कहते हैं सुधर जाओ 'गिरि'
लेकिन हम हैं कि हमीं, हम क्या कहें!
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