अपनी आंखों
में
हसीं ख्वाब की स्याही रख।
हसीं ख्वाब की स्याही रख।
बहुत प्यासा
है तू,
पास एक सुराही रख।।
पास एक सुराही रख।।
तेरी मंजिल
की हदें
तुझसे ही गुजरती हैं।
तुझसे ही गुजरती हैं।
एक मुसाफिर
है तू,
तू मन का सफर जारी रख।।
तू मन का सफर जारी रख।।
वो न लहरों में
कभी डूबा है,
औ न डूबेगा।
औ न डूबेगा।
तू हिफाजत से
रहेगा,
तू उससे अपनी यारी रख।।
तू उससे अपनी यारी रख।।
उसने बड़े ही
करीने से
बनाई है दुनिया।
बनाई है दुनिया।
ये तुझपे है
कि
उस दुनिया की तू सफाई रख।।
उस दुनिया की तू सफाई रख।।
हमसे बिछड़ोगे
तो
आधे ही कहे जाओगे।
आधे ही कहे जाओगे।
मुकम्मल दासतां
के वास्ते
तू मुझसे यारी रख।।
तू मुझसे यारी रख।।
खूब हंसके फरेब देते हैं
ये दिलवाले।
ये दिलवाले।
या तो तू दिल
को संभाल,
या तो तू अय्यारी रख।।
या तो तू अय्यारी रख।।
ऐसी क्या बात
हुई
मुझसे खफा बैठे हो।
मुझसे खफा बैठे हो।
कभी तो ऐसा हो,
मेरी साफगोई की कदर भी रख।।
मेरी साफगोई की कदर भी रख।।
वो दिलफरेब
है,
करता है बात बस हल्की।
करता है बात बस हल्की।
तू उससे कुछ
न कह,
अपनी निगाह भारी रख।।
अपनी निगाह भारी रख।।
'गिरि'
की आंखों में
इक खुशबू है तेरे चाहत की।
इक खुशबू है तेरे चाहत की।
तू उससे आंख
मिला,
बातचीत जारी रख।।
बातचीत जारी रख।।
- आकर्षण कुमार
गिरि।