बेदर्द सवालों के मतलब,
जब समझोगे तब समझोगे।
दुखती रग क्योंकर दुखती है?
जब समझोगे तब समझोगे।।
जब समझोगे तब समझोगे।।
रुखे-सूखे
रिश्ते-नाते,
और मरासिम मद्धम से।
और मरासिम मद्धम से।
इनसे होकर कैसे गुजरें,
जब समझोगे तब समझोगे।।
जब समझोगे तब समझोगे।।
एक और एक ग्यारह भी
है,
एक और एक सिफर भी है।
एक और एक सिफर भी है।
ये अहले सियासी बातें हैं,
जब समझोगे तब समझोगे।।
जब समझोगे तब समझोगे।।
मंजिल के आने से पहले,
मैं क्यों थक कर बैठ गया?
मैं क्यों थक कर बैठ गया?
मंजिल भी दूर छिटकती
है,
जब समझोगे तब समझोगे।।
जब समझोगे तब समझोगे।।
दिल से दिल को मिलाना
होगा,
आंख मिलाने से पहले।
आंख मिलाने से पहले।
ये है बुनियादी बात
मगर,
जब समझोगे तब समझोगे।।
जब समझोगे तब समझोगे।।
बदनामी को मोल लिया,
हर ताने पर साधी चुप्पी।
हर ताने पर साधी चुप्पी।
मेरी खामोशी का मकसद,
जब समझोगे तब समझोगे।।
जब समझोगे तब समझोगे।।
हमने तुमको हमदम जाना,
तुमने हमको बेच दिया।
तुमने हमको बेच दिया।
'गिरि' के
मोल को क्या जानो,
जब समझोगे तब समझोगे।।
जब समझोगे तब समझोगे।।
-आकर्षण कुमार 'गिरि'
Expression of Thought !! Nice..
जवाब देंहटाएंvery beautiful poem...keep it up.
जवाब देंहटाएंhttp://iwillrocknow.blogspot.in/
thnx for your comments... plz follow.......
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