जब भी राज
उजागर होगा ।
सामने कोई
सागर होगा ।।
जिसकी जितनी चादर होगी।
उसका उतना ही कद होगा ।।
जीवन जिसका
खुद एक दर्पण ।
शायर वो
ही शायर होगा ।।
दिल की
बात को दिल में रखना ।
गागर तब
ये सागर होगा ।।
उससे कन्नी
काट के चलना ।
जिसके हाथ
में पावर होगा ।।
मौला तेरे
घर आएंगे ।
जब तू खुद
से बाहर होगा ।।
'गिरि'
को उसमें डूबना
होगा ।
जिसका नाम
समंदर होगा ।।
- आकर्षण।
- आकर्षण।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-05-2015) को "जरूरी कितना जरूरी और कितनी मजबूरी" {चर्चा - 1986} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं"मौला तेरे घर आएंगे
जवाब देंहटाएंजब तू खुद से बाहर होगा "
लाजवाब