तुम्हारी प्यार की बातों में, इक किस्सा पुराना है
किसी का कर्ज है तुमपर, वो भी हमको चुकाना है।
मेरी दीवानगी को तुम न समझे हो, न समझोगे
जिसे कल गा रहे थे तुम, उसे सबको सुनाना है।
तेरी आंखों के हर सपने को, सीने में सजा लूंगा
तेरी जज्बात की बातों को, होठों में छुपा लूंगा।
बता, मैं दिल की धड़कन को छुपाऊंगा भला कैसे?
जो धड़कन तेज होती है, तमाशा खूब होता है।
यही शिकवा है बस.. तुमसे, जो जी चाहे वो करते हो
कि तुम जज्बात की बातें,
भरी महफिल में करते हो।
तेरी दीवानगी में कुछ न हो, पर नाम तो होगा
सुना है इक नया किस्सा, यूं ही, हर बार गढ़ते हो।
- आकर्षण कुमार गिरि
बहुत खूब। अच्छी रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।
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