तेरे दीदार की हसरत, हमारे दिल में पलती है.
हुई मुद्दत मेरी नज़रें, तुम्हारी राह तकती हैं.
यही ख्वाहिश थी बस दिल में, मैं तेरे दर पे आ बैठा.
और उसपे पूछना तेरा, बताओ क्यों यहां आए ?
अनूठे यार हो तुम भी, गज़ब के प्यार हैं हम भी.
भले मझधार हो तुम भी, सुनो पतवार हैं हम भी.
सवालों से तेरे घबरा गया तो ख़ाक याराना.
दिलों का वास्ता कैसा सवालों के जहां साए ?
यही इल्ज़ाम है तुम पर, कि दिल बर्वाद करते हो.
हसीं दिल के कई टुकड़े, दीवानावार करते हो.
मैं तुमसे ये न पुछूंगा, क्यूं वादे से मुकर बैठे ?
मैं तेरा हो नहीं पाया, तू मेरा हो नहीं पाए.
- आकर्षण कुमार गिरि