ख्वाब पुराने मत देखा कर
धुंधली यादें मत देखा कर
और भी दर्द उभर आयेंगे
दिल के छाले मत देखा कर
जीवन में पैबंद बहुत हैं
मूँद ले आँखें मत देखा कर
अपने घर कि बात अलग है
औरों के घर मत देखा कर
कहने वाले बस कहते हैं
दिन में सपने मत देखा कर
जीवन का जब जोग लिया है
चुभती साँसें मत देखा कर
- आकर्षण
और भी दर्द उभर आयेंगे ......... क्या बात है दिल से निकली बात अच्छी लगी ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंखुबसुरत रचना है। आभार।
जवाब देंहटाएंbahut khoob , kuchh cheejen aisi hoti hain ...aankh moondni padtee hai ...
जवाब देंहटाएंKYA BAT HAI
जवाब देंहटाएंBAHUT KHUB
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....!!
जवाब देंहटाएंKya khoob likha hai aapne!!
जवाब देंहटाएंआप सबकी टिप्पणियों से निश्चित ही हौसलाफजाई हुई है. कोशिश करूंगा की आप सबों की उम्मीदों पर मैं खरा उतर सकूं. वैसे दिल की लिखी बातों को दिल की बातों के तौर पर ही देखा जाना चाहिए.
जवाब देंहटाएं- आकर्षण
खुबसुरत रचना....
जवाब देंहटाएंजीवन का जब जोग लिया है, चुभती साँसे मत देखा कर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, दिल से निकली और दिल को छूती रचना..
अपने घर की बात अलग है
जवाब देंहटाएंओरों के घर मत देखा कर ...
वक्त के साथ भावनात्मक समन्वय स्थापित करती आपकी यह रचना सुंदर सन्देश का सम्प्रेषण भी करती है ...आपका लेखन अनवरत जारी रहे यही कामना है