जो तू है तो जमीं और आसमां मेरे समर्थक हैं।
तेरा आना या न आना क्रिया के भेद हैं ऐसे ।
तेरा आना सकर्मक है, नआना भी सकर्मक है।
-आकर्षण कुमार गिरि
एक कहानी जिंदगी एक और तुम
फिर वही झूठी कहानी और तुम।
इश्क़,ग़म,सारे फ़साने बोझ हैं
एक जीवन,आरजू एक, और तुम।
ये कोई इल्जाम से कुछ कम था क्या?
रात,तन्हाई,तेरी यादें निगोड़ी और तुम।
फलसफों से बोझ कम होता नहीं।
दिल को संबल चाहिए एक, और तुम।
'गिरि' के अश्आरों सी बेहद खूबसूरत
सारे मक्ते एक तरफ, एक ओर तुम।
- आकर्षण कुमार गिरि।
जमाना उसकी आँखों में खुदाया ढूंढ लेता है।
मोहब्बत के लिखावट की स्याही ढूंढ लेता है।।
मैं काफिर हूँ, मुझे उसकी निगाहों से नहीं मतलब।
इबादत को मेरा मन उसकी सूरत ढूंढ लेता है।
- आकर्षण कुमार गिरि
जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता। जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।। सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा। गरल ...