जो तू है तो जमीं और आसमां मेरे समर्थक हैं।
तेरा आना या न आना क्रिया के भेद हैं ऐसे ।
तेरा आना सकर्मक है, नआना भी सकर्मक है।
-आकर्षण कुमार गिरि
मुखातिब हो गया हूं आदमी से। मोहब्बत हो गई है जिंदगी से। दुआओं में असर उसके नहीं है। दुआ देता है वो, पर बेदिली से। मोहब्बत का नया दस्तूर है य...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअन्तर्राष्ट्रीय मूर्ख दिवस की बधाई हो।