मुझसे थोड़ा तो प्यार करना था।
एक बार ऐतबार करना था।।
दिल को बस जार जार करना था।
एक बार ऐतबार करना था।।
दिल को बस जार जार करना था।
कुछ तो ऐसे निबाह करना था।।
साथ रिश्तों का ऐतबार लिये।
हमको ये दश्त पार करना था।।
जमीं पर उतर के चाँद आये।
गम-ए-दौरां बिठा के डोली में।
रोज खुद को कहार करना था।।
याद में जो कटी, कटी ना कटी।
दिल जो हल्का हुआ तो याद आया।
तेरी मर्जी से आह भरना था।।
रूह को भी करार आ जाए।
कोई ऐसा करार करना था।।
गैर में ऐब ढूंढने वाले।
कुछ तो खुद में सुधार करना था।।
क्यों आस्तीन चढ़ी हुई है तेरी।
क्या मुझसे आर पार करना था।।
बोल तेरे थे क्यों कर मिसरी की डली थी।
शायद 'गिरि' पर और प्रहार करना था।।
- आकर्षण कुमार गिरि
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