चित भी उसकी, पट उसी की,
सब सियासी तौर है।
कह रही है कुछ जबां,
कह रही है कुछ जबां,
लेकिन कहानी और है।।
था वही, जिसकी इबादत में
था वही, जिसकी इबादत में
जहां पाबोस था।
और, हम समझे कि
और, हम समझे कि
दुनिया की खुदाई और है।।
मैं सहन करता रहा हंस हंस के
मैं सहन करता रहा हंस हंस के
सब जुल्मो सितम।
वो तो खुद कुछ और,
वो तो खुद कुछ और,
उनकी बेहयाई और है।।
नींद गहरी है मगर,
नींद गहरी है मगर,
अब रात हर बेख्वाब से।
है वही चादर, मगर
है वही चादर, मगर
अब चारपाई और है।।
दाग छुप जायेंगे,
दाग छुप जायेंगे,
दीवार पुत जाने के बाद।
घर की पुताई और है,
घर की पुताई और है,
सच की पुताई और है।।
कहने को तो कह देते हैं-
कहने को तो कह देते हैं-
दुनिया मेरे ठेंगे पर।
जग की परवाह और है
जग की परवाह और है
जग की हंसाई और है।।
गीतों में 'गिरि' के अब भी,
गीतों में 'गिरि' के अब भी,
है तपिश उस प्यार की।
है वही उन्वान लेकिन,
है वही उन्वान लेकिन,
रोशनाई और है।।
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