मुझे ऐसे दर से बचाना सनम
जहाँ तुम हो और कोई दुआ भी न हो.
बहुत थक गया हूँ तेरे प्यार में
मोहब्बत का एक आशियाना तो हो.
कोई शख्स ऐसा न ढूंढे मिला
दिल लगाया हो जिसने और हारा न हो.
खुदा ऐसा दिन क्या कभी आयेगा?
बेवफ़ाई का जिस दिन बहाना न हो.
शोखियों में तेरी घोल दी ये गज़ल
भले 'गिरि' न हों पर तराना तो हो.
-आकर्षण कुमार गिरि
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