सोमवार, 26 अप्रैल 2010

टूटे हुए मन

टूटे हुए मन
इतना मत टूट...
ऐसे मत टूट...
कि गुजर जाए सारी उम्र
टुकड़ा टुकड़ा
बटोरने में...........

1 टिप्पणी:

करो शिकवा मगर संजीदगी से

वो तड़पेगा मोहब्बत की कमी से जो जलता है निगाहों की नमी से। यही दस्तूर है सदियों सदी से समंदर खुद नहीं मिलता नदी से। मिलन का बोझ सारा है नदी ...