सजा किस खता कि ये हमको मिली है
कि अब भी लबों पे तेरा नाम आये
दफ़न करने आये थे हम चार आंसू
तेरी याद अब खून की नदियाँ बहाए
सितारों से कह दो पुकारें न हमको
हमने ज़मीन पर अभी घर बनाए
मेरी किस्मत को ज़ख्मों से है दोस्ती
तुम ये कहो- क्यों मेरे पास आये
जब जब तुम आये ज़हन में हमारे
बाजू की मस्जिद से आजान आये
न लटकाओ चेहरे न जेबें टटोलो
कि घर फिर भी घर है, नहीं है सराए
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