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मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

जो गुजर गया सो गुजर गया

जब तेरी राह से होकर मेरा जीवन गुजर गया
कितनी तन्हाईओं के साथ मैं तनहा गुजर गया

एक हंसी आयी थी लब पे, अब उसे क्या सोचना
मील का पत्थर था एक, जो गुजर गया सो गुजर गया

उसके दिल तक पहुँचने का बहुत सीधा सा रास्ता था
एक मैं ही था, जो गलत राह से गुजर गया

तोप, तलवारें, न खंजर, बर्छियों का खौफ दे
इक  हमारा दिल ही था, जो गुजर गया सो गुजर गया

जाते जाते वो मेरे सजदे को आया था 'गिरि'
एक इन्सां उसमे था, जो गुजर गया सो गुजर गया   

करो शिकवा मगर संजीदगी से

वो तड़पेगा मोहब्बत की कमी से जो जलता है निगाहों की नमी से। यही दस्तूर है सदियों सदी से समंदर खुद नहीं मिलता नदी से। मिलन का बोझ सारा है नदी ...