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गरल जो पी नही पाया अमर वो हो नहीं सकता
जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता। जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।। सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा। गरल ...
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बेरुखी का कोई चिराग जलाये रखना कम से कम एक सितारे को सताये रखना शमा जल जायेगी बुझ जायेगी रुसवा होगी दिल में जज्बात की इक लौ को जलाये रखना...
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दर्द जब खुद ही संवर जाता है जाने कितनों का ग़म चुराता है मेरे ज़ख्मों का चीरकर सीना कर्ज़ औरों के वो चुकाता है तेरी सोहबत का उस पे साया है...
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जो मन में गांठ रखता है, सरल वो हो नहीं सकता। जो विषधर है, भुवन में वो अमर हो ही नहीं सकता।। सरल है जो- ज़माने में अमर वो ही सदा होगा। गरल ...
khub surat njm he. waah !
जवाब देंहटाएंkhub surat njm hae !waah
जवाब देंहटाएंआँखों में जहाँ का ग़म है ,
जवाब देंहटाएंउसकी किस्मत खुदा के जैसी है...
बहुत खूब कहा है... लाजवाब..
शुभकामनायें आपको !!
जवाब देंहटाएंगजब की पक्तिया है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनाये
वाह...बहुत अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ ....
जवाब देंहटाएंNICE POST...
जवाब देंहटाएंतू मोहब्बत की नज़र से देख जरा
जवाब देंहटाएंहर दिल में इश्क लिए खुदा बैठा है .....
nice blog
जवाब देंहटाएंरचना में प्रस्तुत आपके भाव काबिले तारीफ़ हैं...वाह...लिखते रहें
जवाब देंहटाएंनीरज
आकर्षक ब्लॉग पर आकर्षण स्पष्ट झलक रहा है - रचना की अंतिम चार पंक्तियाँ लाजवाब बन पड़ी हैं - बधाई
जवाब देंहटाएंbeautiful composition
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