ज़ख्म दिल पर क़ुबूल करते हैं
अपनी रातें बबूल करते हैं
लब पे अब लर्ज़िश ए हसरत न रही
हम तेरे हैं गुरुर करते हैं
चाहतों में भले असर कम हो
चाहनेवाले कमाल करते हैं
जिंदगी से नहीं निभी उनकी
ज़ख्म को जो जुनून करते हैं
रोशनी के लिये कभी सूरज
राह तारों की नहीं तकते हैं
उनका हर लब्ज़ संभाल के रखना
वो तो हर बात पे मुकरते हैं
जब कभी पूछिये वस्ल ए जाना
'गिरि' ख्वाबों की बात करते हैं
very impressive.
जवाब देंहटाएंSirji
जवाब देंहटाएंagar aapki pehchan mil jaati to achchha hota....
aakarshangiri